लखनऊ। हम सब में से ज्यादातर लोग स्मार्टफोन्स रखते हैं। खराब सिग्नल की दिक्कत को लेकर परेशान रहते है। खराब सिग्नल के कारण कॉल ड्रॉप, धीमी इंटरनेट स्पीड, खराब वॉयस क्वॉलिटी, मेसेज अटकना के साथ ईमेल न जाना जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। निजीकरण के चलते टेलीकॉम ऑपरेटर की वजह सोची समझी चाल से यह दिक्कत हो जाती हैं। कई बार ऐसा होता है कि फोन के सिग्नल अचानक से गायब हो जाते हैं। सिग्नल की मजबूती के लिए उपभोक्ता के पास कोई विकल्प नहीं है। ट्राई उपभोक्ताओं की समस्या जानते हुए भी मोबाइल कंपनियों पर कार्रवाई नहीं कर रही है।
जिस तरह पूँजीवादी-लोकतंत्रात्मक आर्थिक सामाजिक, आध्यात्मिक और राजनैतिक क्षेत्र में एक दूसरे को ठगने-पछाड़ने, मूर्ख बनाने की गलाकाट प्रवृत्ति पाई जाती है। टेलीकॉम कंपनियों ने उपभोक्ताओं को मानसिक और आर्थिक रूप से ठगी करती आ रही है, जिसे आम उपभोक्ता समझ ही नहीं पा रहा है। करोड़ों का घोटाला? जांच कौन करे। जनता मर रही है, मरने दीजिए, क्या फर्क पड़ता है, सरकार पर?
कबीरा आप ठगाइये, और न ठगिए कोय, इसीलिये शायद संत कबीर जी ने इन सनातन से ठगे जाते रहे शोषित-पीड़ित अकिंचनों-सहज... उसे देश काल परिस्थितियाँ ही मजबूर करतीं हैं कि आज के परिवेष में मोबाइल फोन कब विद्वान बना दे या कब मूर्ख बना दे कुछ कह नहीं सकते है।
10 मई 2016 को कॉल ड्रॉप के मामले पर सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाते हुए कहा था कि काॅल ड्रॉप को रोका जाए, अगर काॅल ड्रॉप हुई तो उसका हर्जाना वह सर्विस प्रोवाइडर देगा। कोर्ट ने फैसले में यह भी कहा कि कस्टमर को कॉल ड्रॉप के लिए कोई मुआवजा नहीं दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ट्राई का आदेश मनमाना और नॉन ट्रांसपेरेंट है।
ट्राई की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि मोबाइल कंपनियों को उपभोक्ताओं की कोई चिंता नहीं है कि कॉल ड्राप से उन्हें कितना नुकसान होता है। करोड़ों उपभोक्ताओं के देश में 4-5 मोबाइल कंपनियों ने कब्जा कर रखा है जो कार्टेल की तरह काम कर रहीं हैं। इनका रोजाना 250 करोड़ का राजस्व है लेकिन निवेश कम है। टेलीकॉम कंपनियों का राजस्व बड़ी तेजी से बढ़ रहा है और उसकी तुलना में निवेश नहीं हो रहा है। देश में टेलीकॉम सेक्टर का निवेश चीन जैसे देशों की तुलना में काफी कम है। हम उपभोक्ताओं को उनके हक के लिए आवाज दे रहे हैं। मोबाइल टावरों की कमी और सीलिंग टेलीकाम कंपनियों का बहाना हैं। कहा गया था कि टेलीकॉम कंपनियां गलत आंकड़ा दे रही हैं कि रोजाना 150 करोड़ कॉल ड्राप होती हैं तो रोजाना इतना ही हर्जाना देना होगा। 800 करोड़ काल हर साल ड्रॉप होती हैं और अगर हर्जाना लगता है तो राशि बहुत ज्यादा नहीं होगी। हमारे देश में 50 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता हैं जिसमें 96 फीसदी प्री पेड वाले हैं और 4 फीसदी पोस्ट पेड हैं। देश में औसतन रीचार्ज 10 रुपये का होता है और अगर ऐसे लोगों का कॉल ड्राप हो तो उनका बड़ा नुकसान होता है।
खराब नेटवर्क से परेशान हैं उपभोक्ता,कट रही है जेब